अननेचुरल सेक्स से पत्नी की हुई थी मौत… छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने पति को छोड़ा, कहा- महिला की सहमति जरूरी नहीं

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छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनेचुरल सेक्स के दौरान पत्नी की मौत के मामले में पति को रिहा कर दिया। कोर्ट ने कहा कि 15 साल से अधिक उम्र की पत्नी केसाथ  यौन संबंध में कानूनी सहमति जरूरी नहीं होती। इसके आधार पर आरोपी को बलात्कार, अप्राकृतिक सेक्स और गैर-इरादतन हत्या के आरोपों से बरी किया गया।

HighLights

  1. पत्नी की सहमति कानूनी रूप से जरूरी नहीं है।
  2. पत्नी के बालिग तो अप्राकृतिक संबंध अपराध नहीं।
  3. हाईकोर्ट ने सजा के खिलाफ अपील पर बरी किया।

 बिलासपुर। अनेचुरल सेक्स के दौरान महिला की मौत के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक पति को रिहा कर दिया। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की बेंच ने 10 फरवरी को फैसला सुनाते हुए कहा कि कानूनी रूप से यौन संबंधों के लिए पत्नी की सहमति जरूरी नहीं होती है।

जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास ने ये भी कहा कि पत्नी की उम्र 15 साल है। ऐसे में अगर, पत्नी के साथ पति अननेचुरल सेक्स करता है, तो वह बलात्कार नहीं माना जा सकता है।

क्या है पूरा मामला…

यह मामला 11 दिसंबर 2017 का है। महिला के साथ उसके पति ने जबरदस्ती अननेचुरल सेक्स किया था। उसके बाद पीड़िता की तबीयत काफी बिगड़ गई थी। उसको तुरंत ही अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। मरने से पहले पीड़िता ने पति के खिलाफ आरोप लगाए थे।

पीड़िता ने मरने से बयान दिया था कि पति ने उसके साथ यौन संबंध बनाते हुए जबरदस्ती की थी, जिससे उसकी तबीयत काफी बिगड़ गई थी। इस बयान के आधार पर पुलिस ने आरोपी पति पर आइपीसी की धारा 376 (बलात्कार), 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) और 304 (गैरइरादतन हत्या) के तहत केस दर्ज किया था।

ट्रायल कोर्ट ने सुनाई थी 10 साल की सजा

मामले की सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट ने आरोपित को दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ आरोपी पति ने हाईकोर्ट में अपील की थी।

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हाई कोर्ट ने क्या कहा…

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक है, तो पति के किसी भी प्रकार के यौन संबंध को बलात्कार नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में पत्नी की सहमति का कानूनी रूप से कोई महत्व नहीं रह जाता है।

कोर्ट के अहम बिंदु

  • पति-पत्नी के बीच संबंधों में सहमति जरूरी नहीं: हाई कोर्ट ने कहा कि आइपीसी की धारा 375 के तहत पति-पत्नी के संबंधों को अलग नजरिए से देखा गया है।
  • पति को अपराधी के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता: कोर्ट ने कहा कि जब पति और पत्नी के बीच संबंध स्थापित होते हैं, तो इसे रेप नहीं माना जा सकता, जब तक कि पत्नी नाबालिग न हो।
  • अप्राकृतिक संबंध भी अपराध नहीं: कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी बालिग है, तो पति द्वारा किए गए अप्राकृतिक यौन संबंध भी अपराध की श्रेणी में नहीं आते।
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