Supreme Court In 2025: साल 2025 में सुप्रीम कोर्ट भी कई बदलाव देखेगा, एक ओर शीर्ष न्यायालय को 3 चीफ जस्टिस मिलेंगे तो वहीं दूसरी और कई न्यायाधीश अदालत को अलविदा कहेंगे. साल 2025 में सुप्रीम कोर्ट में कुल 7 न्यायधीश रिटायर होंगे. इनमें कुछ न्यायाधीश ऐसे भी होंगे जो इस चीफ जस्टिस बनेंगे और रिटायर होंगे.
सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा चीफ जस्टिस संजीव खन्ना 13 मई 2025 को रिटायर हो रहे हैं. उनके बाद जस्टिस बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बनेंगे. बीआर गवई का कार्यकाल नबंवर 2025 तक होगा. बीआर गवई इसी साल नवंबर में रिटायर हो जाएंगे, उनके बाद जस्टिस सूर्यकांत देश के चीफ जस्टिस का पद संभालेंगे.
2025 में भारत के तीन मुख्य न्यायाधीशों की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय नागरिकों के निजी जीवन और धार्मिक विश्वासों के साथ-साथ राज्य और कानूनों के साथ उनके संबंधों को प्रभावित करने वाले कई मामलों की सुनवाई करेगा. इस साल उपासना स्थल कानून और वक्फ बोर्ड जैसे मुद्दों पर भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.
सुप्रीम कोर्ट के कितने न्यायधीश 2025 में होंगे रिटायर?
जस्टिस सीटी रविकुमार
साल 2025 में सबसे पहले जस्टिस सीटी रविकुमार रिटायर होंगे. उन्होंने 31 अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट में बतौर न्यायधीश के तौर पर सेवा देना शुरू किया था. जस्टिस सीटी रविकुमार इसी हफ्ते 5 जनवरी को रिटायर हो रहे हैं.
उन्होंने केरल राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष, केरल न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष और केरल राज्य मध्यस्थता और सुलह केंद्र के अध्यक्ष सहित कई प्रमुख पदों पर काम किया है. बतौर न्यायधीश उनके कुछ अहम फैसलों में पॉक्सो अधिनियम के अनुपालन से जुड़े मामलों पर महत्वपूर्ण फैसले, चुनावी वादों का सरकार के वित्त पर असर और गुरमेल सिंह मामले में भारतीय दंड संहिता की धारा 149 की व्याख्या शामिल है. हाल के फैसलों (2024) में, उन्होंने जुवेनाइल जस्टिस समय-सीमा और बाल हिरासत मामलों पर अहम फैसले लिए हैं.
जस्टिस ऋषिकेष रॉय
जस्टिस ऋषिकेष रॉय इस साल रिटायर होने पर दूसरे सुप्रीम कोर्ट जज होंगे. 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में उनका आखिरी दिन होगा. इससे पहले वह केरल हाईकोर्ट में बतौर चीफ जस्टिस कार्यरत थे.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना इसी साल मई में रिटायर हो जाएंगे. उन्हें साल 2019 में दिल्ली हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट में प्रमोट किया गया था. पिछले साल नवंबर में संजीव खन्ना शीर्ष न्यायालय के चीफ जस्टिस बने थे. उन्होंने एक ऐतिहासिक 7 न्यायाधीशों के बेंच के फैसले में अहम भूमिका निभाई थी. इस फैसले में बिना मुहर वाले मध्यस्थता समझौतों पर कानून को स्पष्ट किया था.
बतौर न्यायधीश चीफ जस्टिस संजीव खन्ना शिल्पा शैलेश बनाम वरुण श्रीनिवासन केस (2023) में एक अहम संवैधानिक पीठ के फैसले में शामिल थे. इस फैसले में अनुच्छेद 142 के तहत तलाक के लिए एक वैध आधार की व्याख्या की थी. इसमें तय किसी गया था कि ‘जब किसी शादी में जुड़ाव की कोई गुंजाइश न बच जाए’ तो वह तलाक का आधार माना जा सकता है. इसके अलावा अन्ना मैथ्यूज बनाम भारत का सर्वोच्च न्यायालय (2023) मामले में, उन्होंने न्यायिक नियुक्तियों में पात्रता और उपयुक्तता के बीच महत्वपूर्ण अंतर को परिभाषित किया था. यह फैसला देते हुए कि पात्रता न्यायिक समीक्षा के अधीन है, उपयुक्तता इसके दायरे से बाहर है.
जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका
जस्टिस अभय श्रीनिवास ओका भी मई में रिटायर होंगे. 24 मई में सुप्रीम कोर्ट में उनका आखिरी दिन होगा. जस्टिस अभय बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायधीश थे, इसके बाद वह कर्नाटक हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने. साल 2021 में जस्टिस अभय सुप्रीम कोर्ट में जज बने थे.
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी भी इसी साल रिटायर होंगी. 9 जून 2025 को सुप्रीम कोर्ट में उनका आखिरी कार्यदिवस होगा. जस्टिस बेला 2021 के अगस्त में सुप्रीम कोर्ट की जज बनी थीं, इससे पहले वह गुजरात हाईकोर्ट में जज रही चुकीं हैं.
जस्टिस सुधांशु धुलिया
जस्टिस सुधांशु धुलिया 9 अगस्त 2025 को रिटायर होंगे. 9 मई 2022 को उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में बतौर न्यायधीश पद की शपथ ली थी. इससे पहले वह उत्तराखंड हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं. साल 2021 से मई 2022 तक वह गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस भी रह चुके हैं.
जस्टिस बीआर गवई
जस्टिस बीआर गवई इसी साल 23 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो जाएंगे. रिटायरमेंट से पहले मई 2025 में चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की जगह ले लेंगे. बीआर गवई उस पीठ का हिस्सा थे जिसने अधिवक्ता प्रशांत भूषण (2020) के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई की थी और न्यायिक गरिमा बनाए रखने के महत्व पर जोर देते हुए 1 रुपये का प्रतीकात्मक जुर्माना लगाया था. इसके अलावा बीआर गवई ने पट्टाली मक्कल काची मामले (2022) में आरक्षण नीति पर महत्वपूर्ण फैसला दिया था. उन्होंने पुराने डेटा पर निर्भरता के कारण वन्नियार समुदाय के लिए तमिलनाडु सरकार के 10.5% आरक्षण के खिलाफ फैसला सुनाया था.
जस्टिस बीआर गवई को न्याय से जुड़े फिलॉस्फी के जानकार के तौर पर माना जाता है. उन्होंने एक बार कहा था, कानून की प्रैक्टिस सीखने की एक शाश्वत प्रक्रिया है और किसी को अपने करियर के आखिर तक सीखना जारी रखना चाहिए. जिस दिन कोई सीखना बंद करने का फैसला कर लेता है, वह आखिरी दिन होता है.”