पितृ दोष और उसके कष्टकारी प्रभाव: श्राद्ध कर्म से मिल सकती है मुक्ति

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पितृ दोष को बेहद कष्टकारी माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति पर पितृ दोष लग जाता है, तो उसे अपने जीवन में कई तरह के कष्ट झेलने पड़ते हैं। गरुड़ पुराण में इस बात का वर्णन मिलता है कि पितृदोष केवल एक व्यक्ति तक सीमित नहीं रहता है, बल्कि कई पीढ़ियों तक चलता है।

पितृ दोष के कारण

गरुड़ पुराण में वर्णन मिलता है कि यदि किसी व्यक्ति का विधि-विधान से अंतिम संस्कार या फिर श्राद्ध कर्म न किया जाए, तो इससे उस व्यक्ति की आत्मा शांत नहीं होती, जिस कारण उसके परिजनों को पितृ दोष का सामना करना पड़ता है। इसी के साथ पितरों का अपमान करना भी पितृ दोष का कारण बन सकता है।

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होती हैं ये समस्याएं

पितृ दोष होने पर व्यक्ति के वंश को आगे बढ़ाने में परेशानियां आती हैं। घर के सदस्यों के साथ दुर्घटनाएं होती रहती हैं। साथ ही करियर और कारोबार में भी रुकावटें बनी रहती हैं। पितृ दोष का असर लोगों के स्वास्थ्य पर भी देखने को मिलता है और घर में कोई-न-कोई सदस्य हमेशा बीमार बना रहता है। इसी के साथ जातक के विवाह में भी बाधा आती है।

बचाव के उपाय

गरुड़ पुराण में इस बात का वर्णन किया गया है कि पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए पितृपक्ष सबसे उत्तम अवधि है। इस दौरान आपको पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध कर्म करने से पितृदोष से मुक्ति मिल सकती है।

इसी के साथ, प्रत्येक अमावस्या को गरीब, ब्राह्मणों और जरुरमंद लोगों को अन्न का दान करें या फिर भोजन करवाएं। इसके बाद गाय, कौए, कुत्ते को भोजन कराना चाहिए। इस सभी उपायों को करने से आपको अपनी स्थिति में लाभ देखने को मिल सकता है।

 

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