कांग्रेस में बयानों की बहार, शमा और थरूर के मुद्दे पर पार्टी की खामोशी को लेकर सवाल

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नई दिल्ली: कांग्रेस पार्टी इस समय मुश्किल दौर से गुजर रही है। पार्टी के कुछ नेता अपनी बात खुलकर रखना चाहते हैं, लेकिन पार्टी को डर है कि इससे उसकी छवि खराब हो सकती है। शशि थरूर के ‘गलती सुधारने की कोशिश कर रहा हूं’ वाले बयान पर कांग्रेस की चुप्पी इस बात का सबूत है। दरअसल, राहुल गांधी और कांग्रेस अक्सर BJP और पीएम नरेंद्र मोदी पर बोलने की आजादी को दबाने का आरोप लगाते रहे हैं। अब कांग्रेस खुद ऐसी ही स्थिति का सामना कर रही है।

कांग्रेस में कुछ नेता ऐसे हैं, जो पार्टी छोड़ना नहीं चाहते, लेकिन अपनी राय रखना चाहते हैं। जब भी वे ऐसा करते हैं, तो पार्टी असहज हो जाती है। दिलचस्प बात यह है कि ये नेता अपनी पहचान के लिए पार्टी पर निर्भर नहीं हैं। इसलिए पार्टी के लिए इन पर कार्रवाई करना मुश्किल है।

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कांग्रेस के सामने यह चुनौती है कि वह कैसे अपने नेताओं को बोलने की आजादी दे और पार्टी की छवि को भी बचाए रखे। शशि थरूर के बयान पर कांग्रेस की चुप्पी दिखाती है कि पार्टी इस मुद्दे पर कितनी गंभीर है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेतृत्व इस बात को लेकर चिंतित है कि थरूर जैसे नेताओं के बयानों से पार्टी की छवि खराब हो रही है। थरूर अक्सर सरकार की आलोचना करते हैं, लेकिन कई बार वे पार्टी लाइन से हटकर भी बयान दे देते हैं। इससे पार्टी को असहज स्थिति का सामना करना पड़ता है।

कांग्रेस के सीनियर नेताओं का कहना है कि बोलने की आजादी का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी बोल सकते हैं। सभी को पार्टी के अनुशासन का पालन करना होगा। हालांकि, शशि थरूर यह कह चुके हैं कि वह सिर्फ अपनी राय रख रहे हैं और उनका मकसद पार्टी को नुकसान पहुंचाना नहीं है।

 

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